Turmeric benefits hindi

हल्दी (haldi)

Turmeric benefits
Turmeric

विवरण

हल्दी (Haldi) को अंग्रेज़ी में टरमरिक (turmeric) कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम कुरकुमा लौन्गा (curcuma longa) है। हल्दी एक जड़ी बूटी है जो हल्दी के पेड़ की सूखी जड़ों और शाखाओं से बनाई जाती है।
हल्दी के पेड़ की जड़ देखने में अदरक जैसी लगती है, इस जड़ को सुखाकर और पीसकर हल्दी बनती है। यह कई बीमारियों से निजात दिलाती है। कुछ भारतीय व्यंजनों में भी हल्दी का उपयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों द्वारा हल्दी प्राचीन समय से कई तकलीफों के उपचार के लिए इस्तेमाल में लाई जाती रही है। हल्दी खुशबूदार, उत्तेजक और एक शक्तिवर्धक औषधि है।
यह शरीर की हड्डियों को मज़बूती पहुंचाती है इसलिए इसका सेवन करके या बाहरी तौर से शरीर पर लगाकर प्रयोग किया जाता है। खाने की सामग्री में यह ना केवल रंग लाती है बल्कि कई पोषक तत्व भी शरीर को पहुंचाती है।
हल्दी (Haldi) में पाया जाने वाला करक्यूमिन (curcumin) नामक रासायनिक तत्व ही हल्दी के पीले रंग और इसके उपचारात्मक प्रभाव का कारण होता है। हल्दी चिकित्सा व धार्मिक कार्यों में विशेष उपयोगी है। इसके अलावा हल्दी को हिन्दू संस्कारों में भी महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

फायदे

हल्दी (Haldi) का इस्तेमाल त्वचा की देखरेख के लिए भी किया जाता है और पाचन प्रक्रिया को दुरूस्त करने के लिए भी। हल्दी में कई औषधीय गुण हैं जो कैंसर, मधुमेह और सूजन जैसी बीमारियों का इलाज करते हैं।
अल्जाइमर (Alzheimer)- कई शोध के बाद वैज्ञानिकों ने हल्दी को अल्जाइमर बीमारी से लड़ने में सक्षम घोषित किया है। हल्दी में मौजूद डाईफेरुलो मीथेन (Diferuloylmethane) नामक तत्व सूजन को कम करता है और साथ ही न्यूरॉन्स के आसपास अत्यधिक एमीलोयड पट्टिका के पतन को रोकता है।
घाव, नीलापन और मोच (Wound, Bruises and Sprain)- हल्दी  (turmeric) को गर्म दूध में मिलाकर पीने से घाव, नीलापन और मोच के दर्द में आराम मिलता है। इसके सेवन से सूजन भी कम होती है। कटे और खरोंच के निशान को धोकर उस पर सूखी हल्दी लगाने से निशान जल्दी भरते हैं।
त्वचा संबंधी समस्याएं (Skin Problems)- फोड़े फुंसी से बचने के लिए हल्दी का पेस्ट और तिल का तेल मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं। खुजली की बीमारी में गुड़ के साथ भुनी हुई हल्दी को मिलाकर शरीर पर लगाएं। झाईयों और धब्बों के इलाज के लिए पिसी हुई हल्दी को पत्थर पर पानी से रगड़ें और इसके पेस्ट को चेहरे पर लगाएं।
कैंसर (Cancer)- कीमो- रक्षात्मक गुण (Chemoprotective properties) होने के कारण हल्दी पेट के कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, टी-सेल ल्यूकेमिया और स्तन कैंसर के इलाज में कारगर है।
गठिया (Arthritis)- हल्दी (Haldi) रोगक्षमता को बढ़ाने में सहायक है। हल्दी का उपयोग आर्थ्राइटिस की बीमारी से बचने के लिए किया जाता है। हल्दी में सूजन को कम करने की क्षमता होती है और एंटी- ऑक्सीडेटिव तत्व होते हैं जो गठिया की बीमारी में बेहद फायदेमंद साबित होते हैं।
मधुमेह (Diabetes)- मधुमेह के दौरान हल्दी (Haldi) का सेवन लाभदायक होता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (curcumin) इंसुलिन के स्तर को सीमित रखता है और एंटी-डाइबिटिक ड्रग्स के प्रभाव को बढ़ाता है। एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण हल्दी इंसुलिन के प्रतिरोध को कम कर देता है।
खांसी और सर्दी (Cough and Cold)- करक्यूमिन (curcumin) और वाष्पशील तेल की मौजूदगी के कारण हल्दी खांसी और सर्दी से लड़ने में सहायक है। गरम दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर  पीने से गले में खराश या खांसी से बचा जा सकता है।

सावधानी

हल्दी (Haldi) का उपयोग 500 मिलीग्राम से कम मात्रा में करना चाहिए। दिन में दो या तीन बार ही हल्दी खानी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति इससे ज्यादा हल्दी का सेवन करता है तो उसे हल्दी के कारण कई दिक्कतें भी हो सकती हैं। आइए जानते हैं इन नुकसानों के बारे में-
एलर्जी (Allergy)- हल्दी का पाचन हर व्यक्ति नहीं कर पाता है। कई लोगों को हल्दी के सेवन से उबकाई, उल्टी, पेट की खराबी या दस्त जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कुछ लोगों में हल्दी से बने मलहम या लोशन के कारण त्वचा एलर्जी, लाल चकत्ते और जलन जैसी शिकायतों का डर भी रहता है।
पित्ताशय में समस्या (Gallbladder Problem)- हल्दी के ज्यादा सेवन से जिगर और पित्ताशय में उत्तेजना हो सकती है। इसके अलावा पित्ताशय में सूजन या पथरी होने का खतरा भी रहता है।
लिवर (Liver)- शरीर में हल्दी की भारी मात्रा से लिवर को खतरा पहुंचने का डर रहता है। लिवर के मरीज़ों को हल्दी खाने की ज्यादा सलाह भी नहीं दी जाती। लिवर में रोग से बदहजमी और पीलिया जैसी बीमारियां भी घेर सकती हैं।
ब्लीडिंग (Bleeding)- हल्दी की तासीर गरम होती है। इसलिए जिन लोगों को नाक से खून आने की शिकायत रहती है उन्हें हल्दी का कम सेवन करना चाहिए। यह मनुष्य शरीर में ब्लड क्लॉटिंग की रफ्तार को कम कर देती है इसलिए इससे ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा रहता है। बच्चों और क्लॉटिंग की शिकायत वाले मरीज़ों को ज्यादा हल्दी नहीं लेनी चाहिए।


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